R.C.M Magazine : आर.सी एम पत्रिका गीत(network marketing), How to bring financial freedom:कैसे लाए आर्थिक आजादी, what is network marketing : नेटवर्क मार्केटिंग क्या है.
R.C.M Magazine : आर.सी एम पत्रिका
दोहा – आर.सी.एम के शब्द का है ऐसा व्याख्यान
ध्यान लगाकर के सुनो होगें सभी महान
होंगे सभी महान ध्यान जिस जिसने लगाया
यश वैभव सम्पन्न सार्थक जीवन पाया
कह ‘मनोज’ कविराय बात मेरी मानो साची
R.C.M की प्लान पत्रिका विधि ने वाची
भाई भाई का इसमें मिलन लिख दिया
इससे बढ़कर के कोई सफलता नहीं
राष्ट्र के प्रेम की साधना साथ में
इससे बढ़कर के कोई कुशलता नहीं
भाई भाई ……
इससे मुख पृष्ठ पर छाबड़ा का मिलन
जिनकी दॄष्टि में सृष्टि विलक्षण दिखे
कर्ता धर्ता प्रथम आर.सी.एम के है वो
सारे साहित्य है उनके हाथो लिखे
ऐसी अतिसय विलक्षण लिखी लेखनी
लेख को देखकर कोई हटता नहीं
भाई भाई …..
पृष्ट खोला प्रथम आर.सी.एम पत्र का
‘प्राणगीत’ का शब्द मधुरम लिखा
उसको पढ़कर के देखा मनन जब किया
विश्व बंधुत्व का सारा जज्बा दिखा
गीत को मित जन-जन बनालो अगर
स्वर्ग प्रति घर कोई रोक सकता नहीं
भाई भाई …….
पृष्ट दर पृष्ट पर दॄष्टि अग्रिम गयी
अर्थ की निति का सारा वर्णन दिया
ऐसी विधिवत प्रणाली लिखी मूल्य की
उसको वैसा मिला जिसने जैसा किया
ऐसी समरस प्रणाली है यह आर.सी.एम
लक्ष्य लक्ष्मी मिलन की विवसता नहीं
भाई भाई……
पृष्ट अंतिम को पढ़कर विहव्ल हो उठा
देवताओं सा सम्मान मानव को है
प्राप्त होना शुलभ ऐसा सबको लिखा
यह खबर शेष घर घर सुनाने को है
‘मनोज’ के ओज से लेखनी रूक गयी
कंठ अवरुद्ध है शब्द आता नहीं
भाई भाई ……