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दोस्तों नमस्ते, आपका www.pravingyan.com में आपका स्वागत है। आपको पर्यटन स्थलों के बारे में जानकारी देना चाहते हैं। हमने पिछले लेख में हिमाचल प्रदेश के पर्यटन स्थलों के बारें में परिचित कराये है। आज हम “उत्तराखंड के पर्यटन स्थलों” के बारे में जानकारी प्रस्तुत करेंगे।
उत्तराखंड में मसूरी, देहरादून, गुलशन व्हॅली, अल्मोड़ा, रानीखेत, कौसानी, द्वारहाट, हिमाचल के ऊंचे शिखर, नदियाँ , झील आदि पर्यटन स्थलों का आनंद आप ले सकते है। यहां का लोकप्रिय फल ” काफल ” है, यदि आप उत्तरांचल की यात्रा के लिए आते हैं, तो इस फल का स्वाद लें। घने जंगल और बर्फ से ढकी चोटियां पर्यटकों का मन मोह लेती हैं। उत्तराखंड की धरती को भगवान की आंखों वाला देश कहा जाता है। पवित्र चारधाम, बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री हिंदुओं की आस्था के प्रतीक हैं। उत्तर प्रदेश का यह पर्वतीय राज्य गंगा और यमुना सहित देश की प्रमुख नदियों का भी स्रोत है। यहाँ की नयनाभिराम झीलें, हिल स्टेशन, लगभग 12 राष्ट्रीय उद्यान, ग्लेशियर और फूलों की घाटी भी हैं, जो यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल है।
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history of Uttrakhand : उत्तराखंड का इतिहास
उत्तराखंड राज्य का निर्माण वर्ष 2000 में उत्तर प्रदेश से गढ़वाल और कुमाऊं को अलग करके किया गया था। उत्तराखंड को पहले उत्तरांचल के नाम से जाना जाता था। 09 नवंबर 2000 को उत्तराखंड राज्य को भारत का 27 वां राज्य घोषित किया गया था। सन 2000 से 2006 तक यह उत्तरांचल के नाम से जाना जाता था। जनवरी 2007 में उत्तरांचल का नाम बदलकर उत्तराखंड कर दिया गया। उत्तराखंड के उत्तर में तिब्बत, पूर्व में नेपाल, पश्चिम में हिमाचल प्रदेश और दक्षिण में उत्तर प्रदेश स्थित है।
”अल्मोड़ा” भारतीय राज्य अल्मोड़ा जिला का मुख्यालय है। अल्मोड़ा अपनी सांस्कृतिक विरासत दस्तकारी, तख्ता और अन्य पर्यटनस्थल के लिए प्रसिद्ध है। अल्मोड़ा में उदय शंकर द्वारा 1938 रानीधारा नृत्य अकादमी की स्थपना की गई। नृत्य का प्रशिक्षण लेने के लिए भारतीय और विदेशी आते है।
- उत्तराखंड की राजधानी – देहरादून
- उत्तराखंड राज्य के जिले – 13 Information about tourist destinations in Uttarakhand:उत्तराखंड पर्यटन स्थल
- Uttarakhand का छोटा कश्मीर – पिथौरागढ़
- केदारनाथ में विराजमान – भगवान शिव
- हरिद्वार को किस नाम से जानते है – कुंभ नगरी
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अल्मोड़ा | Almora
अल्मोड़ा (आलमनगर) की स्थापना 1568 में राजा बाल कल्याण चंद ने की थी। अल्मोड़ा, सर्वशक्तिमान कुमाऊँ के राज्य का साम्राज्य था। उत्तराखंड में कुमाऊंनी और गढ़वाली दो भाषा बोली जाती है। अल्मोड़ा अपने ऐतिहासिक कार्यों के साथ-साथ प्राकृतिक हसीन वादियों के लिए महसूर है। अल्मोड़ा के चारों ओर बर्फ से ढकी चोटियाँ, घास के मैदान, जंगल आदि के प्राकृतिक परिदृश्य दिखाई देते हैं। अल्मोड़ा की खास बात यह है की, पुराने मंदिर, किले और भवन है यह भवन कुमाऊं स्थापत्य और कलाकृति का नुमाइंदगी करता है। तांबे के बर्तन, कलात्मक सामान बनवाया जाता है। तांबे के सामान के निर्माता को ” टमटा ” के नाम से जानते है। कॉपर के सामान यहां बहुत सस्ते और अच्छे मिलते हैं।
अल्मोड़ा ऐतिहासिक नगरी पहाड़ी के चोटी में बसा हुआ है। पहाड़ी के एक आंचल से दूसरे आंचल तक लाला बाजार है। यह बाजार कटे सुंदर पत्थर से बना हुआ है। यहाँ की गलिया बहुत ही अच्छी बनी हुई है। यहाँ पर्यटक गलियों पर घूमते हुए हिमालय की हरीभरी वादियों का नजारा देखते हुए आनंद लेते है। यहाँ वसंत ऋतु में नज़ारा बहुत मनमोहक हो जाता है। गर्मियों में एक बार अल्मोड़ा घूमने जाना चाहिए।
अल्मोड़ा अपनी संस्कृत विरासत दस्तकारी, तख्ता और अन्य जीवन के लिय प्रसिद्ध है। सेब की कई प्रजातियाँ, आड़ू और स्ट्रॉबेरी आदि फलों के बगीचे मन को लुभाते हैं। गर्मी के दिनों में बुरांश के फूल खिलते है और यदि आप दूर से देखते हैं, तो जंगल ने इस तरह से एक नया जौहरी पहना है। जंगल और पहाड़ अपने फूलों पर पर्यटकों के मन को केंद्रित करते हैं। इस शहर में, विद्वानों, राजनेताओं, कवियों, कलाकारों और दार्शनिकों ने इस शुभ स्थान पर अपने विचार को छोड़ दिया और फिर कुछ यादें अपने साथ ले गए।
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Tourism sites of Almora:अल्मोड़ा के पर्यटन स्थल
कैंची
कैंची अल्मोड़ा का पर्यटन स्थल है। यात्रियों को ठहराने के लिए धर्मशाला का निर्माण किया गया है। यह स्थान ” नीम करौली बाबा ” के नाम से प्रसिद्ध है। नीम करौली बाबा कैसे पड़ा ? इसके पीछे एक कहानी है। बाबा ‘ हनुमान भक्त थे। एक बार बाबा गांव जाने के लिए नीम करौली गांव के रेलवे स्टेशन गए। ट्रेन के स्टेशन पर रुकते ही बाबा ट्रेन के प्रथम श्रेणी के डिब्बे में बैठ गए।
एक डीसी ने बाबा को प्रथम श्रेणी के डिब्बे में बैठे देखा। टीसी बाबा के पास दौड़ कर आया और टिकट माँगने लगा बाबा के पास टिकट नहीं था बाबा को ड़िब्बे से निचे उतारा बाबा स्टेशन पर बैठ गए। गार्ड ने सिटी बजाई, हरी झंडी दिखाई लेकिन ड्राइवर से ट्रेन चालू नहीं हुई।सभी रेलवे इंजीनियरों को बुलाया गया लेकिन ट्रेन शुरू नहीं हुई।
लोगों ने रेलवे कर्मचारियों से कहा कि आप बाबा को नीचे ले आए, इसलिए ट्रेन नहीं चल रही है। टीसी और ड्राइवर ने बाबा से माफी मांगी और प्रथम श्रेणी के डिब्बे में बैठ गए। ट्रेन शुरू हुई। इस घटना के कारण इस स्टेशन का नाम ” नीम करौली बाबा ” पड़ा। लोग बाबा पर इस घटना से विश्वास करने लगे। बाबा हनुमानजी के भक्त थे। उन्होंने हनुमान जी का मंदिर बनवाया है। destinations in Uttarakhand
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गरम पानी
” गरमपानी ” अल्मोड़ा शहर का एक पर्यटन स्थल है। गरमपानी यह पर्यटन स्थल बिच का स्थान है इस कारण पर्यटक चाय पिने और भोजन करने के लिए रुकते है। गरमपानी का भोजन बहुत ही टेस्टी रहता है। अगर आप जाते हो तो गरमपानी में भोजन का आस्वाद अवश्य लीजिए। यहाँ का अचार, आलू की रेसिप, खीरे, अदरक और मूली आदि के लिए मशहूर है।
कुछ दुरी पर खैरना आता है। यह जगह मछली के लिए प्रसिद्ध है। खैरना में भुवालीगाढ़ और कोसी का संगम होता है।
खैरना के सामने एक काकड़ी घाट है, यहाँ प्राचीन शिव मंदिर की विशेषता है। बसों की कोई सुविधा नहीं थी, तभी पर्यटक भक्त इस मंदिर से बद्रीनाथ-केदारनाथ तक पैदल जाते थे।
नंदा देवी मंदिर | Nanda Devi Temple
कुमाऊं और गढ़वाल के आराध्य देवी माँ नंदा देवी का मंदिर एल आर शाह मार्ग पर विराजमान है। नंदा देवी मंदिर पर कलाकृतियाँ बनाई गई है। नंदा देवी की पूजा अष्टमी के दिन पुरे अल्मोड़ा के दार्शनिक स्थलों पर पूजा की जाती है। नंदा देवी की मूर्ति केले के पत्ते और केले के तनों से बनाई जाती है। अष्टमी सितंबर महा में आती है। अष्टमी के दिन बहुत बड़ा मेला लगता है।
कसार देवी मंदिर | Kaisar Devi Temple
माँ कसार देवी का मंदिर अल्मोड़ा से 9 किलोमीटर की दुरी पर है। भक्तगण देवी के दर्शन करने के लिए देश विदेश से आते है। मंदिर से ही हिमालय की हरियाली का आनंद लेते है।
चित्तई मंदिर | Chaitai Temple
चितई मंदिर अल्मोड़ा से 06 किलोमीटर की दूरी पर है। इस मंदिर का निर्माण चंद राजाओं के वीर सेनापति अंशदेव गोल की याद में बनाया गया था। यहां की घंटियों की आवाज हमेशा कानों में गूँजती है।
ब्राइटन एंड कार्नर | Brighton and Corner
बाइटन एंड कार्नर का दिलकश नजारा पर्यटकों का मन अपनी ओर मोह लेता है। सूर्योदय और सूर्यास्त के समय का हसीन दिखनेवाला नजारा देखते ही रहने का क मन होता है। इस जगह से आप हिमालय के हरियाली का नजारा बहुत ही शोभायमान दीखता है।
कटारमल सूर्य मंदिर | Katarmal Sun Temple
कटारमल सूर्य मंदिर उत्तराखंड राज्य के अल्मोड़ा जिले में “कटारमल” नाम के स्थान पर स्थित है। इसलिए इस मंदिर को कटारमल सूर्य मंदिर कहते है। यह मंदिर अल्मोड़ा से 17 किलोमीटर है। कटारमल में मंदिरों का समूह स्थापित है। इस समूह की स्थापना 800 साल पुराणी है। इस मंदिर में सूर्य पद्मासन लगाकर बैठा है। ओडिशा के कोणार्क मंदिर के बाद इस मंदिर का दूसरा स्थान लगता है।
स्मितोला | Smitola
स्मितोला रमणीय पिकनिक स्थल है। यह अल्मोड़ा से 3 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है। मार्च-अप्रैल के महीनों में, पर्यटक बड़ी संख्या में रहते हैं। ” स्मितोला ” सैलानियों का ”स्वर्ग” है।
जागेश्वर | Jageshwar
ऐतिहासिक स्थल “जागेश्वर धाम” अल्मोड़ा से 35 किलोमीटर दूर है। 164 मंदिरों के समुह को ” जागेश्वर धाम ” के नाम से जानते है। मंदिर के समुह का निर्माण धनिक व्यक्ति, राजा, भक्तगण आदि द्वारा किया गया था। सैलानी जागेश्वर मंदिर में विश्राम करके मानसरोवर यात्रा के लिए रवाना होते थे। जगन्नाथ और महामृत्युंजय मंदिर सभी मंदिरों से बढे है।
मटेला | Matera
हमें हसीन वादियों के नज़ारे देखने को मिलते हैं, जो बहुत ही खूबसूरत रंग-बिरंगे फूलों से सजा होता है और हम एक नज़र में ही उनकी ओर आकर्षित हो जाते हैं। पिकनिक के लिए यह स्थान बहुत ही अच्छा है। अगर आप उत्तरांचल घूमने आते हैं, तो मटेला टूरिस्ट डेस्टिनेशन को जरूर देखें।
हिरण पार्क | Deer park
अल्मोड़ा का यह डियर पार्क सैलानियों का प्रमुख पर्यटन स्थल है।। पार्क में देवदार और चीड़ के पेड़ों के बीच सौम्य दिखने वाले हिरण, तेंदुए, काले भालू आदि को देखने के लिए पर्यटकों की भीड़ होती है।
झिरो पॉइंट | Zero point
ज़ीरो पॉइंट अल्मोड़ा जिले के बिंसर में स्थित है। ज़ीरो पॉइंट एक टॉवर है जिसकी ऊँचाई लगभग 2400 मीटर है। इस टॉवर से सैलानी अल्मोड़ा के पर्यटन स्थल के नज़ारे देखते हैं।
अल्मोड़ा के किले | Fort of Almora
कत्यूरी राजाओं ने नवी शताब्दी में ” खगमरा ” किले का निर्माण किया। राजा कल्यानचंद ने सन 1563 में ” मल्लाताल ” नाम से किले का निर्माण किया। इस किले में अल्मोड़ा जिले का कार्यालय है। तिसरा किला अल्मोड़ा छावनी में है जिसे ” लालमंडी ” किला कहते है।
बहुत जल्द हम उत्तराखंड के पर्यटन स्थल रानीखेत के बारे में लेख प्रकाशित करेंगे। तबतक के लिए नमस्ते…….
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