रॉकेट एक हवाई जहाज है। रॉकेट किसी भी वातावरण में अंतरिक्ष में उड़ सकता है। अंतरिक्ष में यात्रा करने के लिए रॉकेट का उपयोग किया जाता है। विमान को अंतरिक्ष में उड़ने के लिए हवा की आवश्यकता होती है लेकिन रॉकेट धरती के गुरुत्वाकर्षण शक्ति (Gravity power) के साथ अंतरिक्ष में उड़ान भरता है। एरोप्लेन का उपयोग एक ठिकान से दूसरे ठिकान में जाने के लिए होता है लेकिन रॉकेट का उपयोग धरती के किसी भी वातावरण में जाने के लिए होता है।
वैज्ञानिक ” गॉस कार्ल फ्रेड्रिक ”
महान वैज्ञानिक ” टायको ब्राहे ”
रॉकेट का आविष्कार नहीं होता तो आज अंतरिक्ष में मानव पहुँच नहीं पता रॉकेट के माध्यम से बड़े-बड़े मिसाईल बनाये जाते है। रॉकेट के माध्यम से विज्ञान क्षेत्र में नई-नई खोज हुई है। वैज्ञानिक दुसरे ग्रह पर जिव की खोज करने के लिए रॉकेट का उपयोग करते है। रॉकेट से मानव चन्द्रमा तक पहुंच गया। रॉकेट का अनुसंधान करनेवाले अमेरिकन भौतिक वैज्ञानिक ” रॉबर्ड हुन्चिंग गोडार्ड ” की जीवनी जरूर पढ़िए।
रॉबर्ट हुचिंग गॉडर्ड का परिचय | Introduction to Robert Hunching Goddard
रॉबर्ड गॉडर्ड का जन्म 05 अक्टुंबर 1882 में अमेरिका के मैसेचूट प्रान्त के ” वसस्टर ” गांव में हुवा। छोटेपन से ही अंतरिक्ष में उड़ने की इच्छा थी। उनके पिताजी का बुक बेचने का धंदा था। इस कारण उनके घर में हमेशा बुके मौजूद रहती थी। रॉबर्ट बुक पढ़ने में बहुत ही व्यस्त रहते थे। यांत्रिक तकनीक ( Mechanical technology ) की बुक ज्यादा पढ़ता था। यांत्रिक तकनीक की बुक पढ़ते-पढ़के उनके मन में वैज्ञानिक बनने की महत्वकांक्षा निर्माण हुई।
महान वैज्ञानिक गिओर्डेनो ब्रुनो
महान वैज्ञानिक ” निकोलस कोपर्निकस ”
प्रायमरी की पढ़ाई के बाद वसरेस्टर पॉलिटेक्निक संस्था से मेकैनिक डिग्री और क्लार्क विद्यापीठ से भौतिकशास्त्र में डॉक्टरेट की पदवी सम्पादन किया। सन 1919 में रॉबर्ट गॉडर्ड ने उम्र के 37 वे साल में पहली बार रॉकेट तंत्रज्ञान के विषय पर प्रथम प्रबंधक प्रकाशित किया। रॉकेट के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला ईंधन और मोटर की खोज किया। मोटर का उपयोग करके सन 1925 में गॉडर्ड ने रॉकेट का परीक्षण सफलतापूर्वक किया। दूसरे महायुद्ध में गॉडर्ड ने सैन्य दल में सेवा दी। प्रिन्स्टन महाविद्यालय में भौतिकशास्त्र के प्रोफेसर पद पर नियुक्त हुए।
रॉकेट अनुसंधान केन्द्र की स्थापना | Establishment of rocket research center
गॉडर्ड ने सन 1926 में तरल इंधन से चलनेवाले रॉकेट का सफलतापूर्वक परीक्षण अपने शहर में किया। सुरवती दौर में रॉकेट चार फुट उचे थे। सन 1927 में लिंनबर्ड नाम के व्यक्ति के कारण अमेरीका के उद्योगपति डेनियल ने 50 हजार डॉलर की साहयता गॉडर्ड को प्रदान किया और सन 1929 में गॉडर्ड ने न्यू मेक्सिको शहर में विज्ञान अनुसंधान केंद्र की स्थापना किया। इस केंद्र के माध्यम से ” संयंत्र रॉकेट ” अंतरिक्ष में उड़ाने लगे। ” जायरोस्कोपिक गाइडेंस सिस्टिम का अनुसन्धान इसी केंद्र पर किया। सन 1929 में उड़ाया गया रॉकेट बहुत ही लम्बा था और इतिहास में सबसे बड़ा रॉकेट था। यह रॉकेट बहुत आवाज करता था। इस कारण लोगों ने पुलिस में शिकायत दर्ज की और उन्हें कहा गया की अभी आप रॉकेट नहीं छोड़ोंगे।
वायुगति के जनक ” डॉ.सतीश धवन ”
सन 1935 में गॉडर्ड के रॉकेट ने अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक उड़ान की। गॉडर्ड के नाम से 214 पेटेंट अधिकार सुरक्षित है। तीन साल पुराने बूस्टर रॉकेट इन्ही के सिद्धांत पर चलते है। अमेरिकी सरकार ने सन 1935 तक रॉकेट कार्य को महत्व नहीं दिया दूसरे महायुद्ध में जेट रॉकेट का निर्माण किया उनके जीवन कल में उन्हें बहुत अधिक नाम नहीं मिला।
09 अगस्त 1945 में अमेरिका ने नागासाकी शहर पर बॉम डाला उसके दूसरे दिन याने की 10 अगस्त 1945 में रॉकेट निर्माता रॉबर्ड गॉडर्ड की मृत्यु हुई। और रॉकेट युग का जन्म हुवा। उनके रॉकेट कार्य को महत्व मिलते गया आज के तारिक में बूस्टर रॉकेट और रॉकेट का निर्माण उन्ही के सिद्धांत पर होता है।
मृत्यु और मानसम्मान | Death and honor
10 अगस्त 1945 में रॉकेट निर्माता रॉबर्ड गॉडर्ड की मृत्यु हुई। गॉडर्ड कि मृत्यु के बाद अमेरिकी सरकार जागरूक हुई। उनके मिसेस को 1,00,000 /- रु का धनादेश दिया गया। गॉडर्ड के रॉकेट का उपयोग अंतरिक्ष और सैनिक दल में होने लगा। ” ए मेथड ऑफ़ रिचिंग एक्स्ट्रीम आष्ट्रीट मूड्स ” विज्ञान ग्रंथ आज भी अंतरिक्ष यात्रियों को मार्गदर्शन करता है।
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◼️ भारत के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, |