The father of air speed Dr. Satish Dhawan | वायुगति के जनक डॉ.सतीश धवन. Introduction to Dr. Satish Dhawan, Research in aircraft sector
भारत में विज्ञान अनुसंधान की परंपरा प्राचीन काल से चालू है। ख्रिस्त पूर्व 600 साल पहले कणाद मुनि ने अनुसंकल्पना का सिद्धांत जॉन डाल्टन के पहले लगाया है ऎसा कहा जाता है The father of air speed Dr. Satish Dhawan.
आर्यभट्ट, ब्रम्हगुप्त, वराहमिहिर, भास्कराचार्य, सुश्रुत, चटक आदि प्राचीन भारतीय वैज्ञानिक के अनुसंधान से भारत में ” विज्ञान क्रांति ” हुई है।
इंग्रेजों ने भारत पर 150 वर्ष राज्य किये उसी समय में जगदीशचंद्र बोस, मेघनाद साहा, सत्येन्द्रनाथ बोस, प्रफुल्लचन्द्र रॉय और चंद्रशेखर व्यंकट रमन आदि वैज्ञानिकों का अनुसंधान विश्व को मिला अनमोल उपहार है।
ऎसे महान भारतीय वैज्ञानिको के साथ-साथ ” वायुगतिक के जनक ‘ प्रा.सतीश धवन ‘ का भी उल्लेख किया गया है। धवन ने बंगलौर के भारतीय विज्ञान संस्था के प्रयोग भवन में रिसर्च करने लगे। श्रीहरिकोटा के स्पेस सेंटर का नाम बदल कर सतीश धवन स्पेस रखा गया। भारत सरकार ने उनके अनुसंधान कार्य का गौरव किया है।
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डॉ.सतीश धवन का परिचय | Introduction to Dr. Satish Dhawan
सतीश धवन का जन्म 25 सितंबर 1920 में श्रीनगर में हुआ। उनके मन में बचपन से ही रिसर्च करने की रूचि निर्माण हुई। रंगबिरंगी पंछीयों के तरफ वे देखने ही रहते थे। पंछी आकाश में कैसे उड़ते है यह सवाल उनके मन मे हमेशा आता था।
सतीश धवन की प्राथमिक की पढ़ाई श्रीनगर में हुई। सतीश ने गणित और भौतिकशास्त्र में प्रथम क्रमांक से डिग्री प्राप्त की। लाहोर विश्वविद्यालय से यंत्र अभियांत्रिकी में बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग की डिग्री प्रथम क्रमांक से ली। स्कॉलरशिप मिलने के बाद वे अमेरिका के मिनसोटा विद्यापीठ से पोस्ट डॉक्टरेट की डिग्री प्राप्त करने के लिए दाखिल हुए।
एम.एस की डिग्री लेकर कैलिफोर्निया के तांत्रिक संस्था में रिसर्च के द्वारा डॉक्टरेट पदवी प्राप्त किया। डॉ.सतीश धवन भारत में सन 1951 में आये।
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विमान क्षेत्र में अनुसंधान | Research in aircraft sector
श्रवण लहर और धक्का लहर यह नए क्षेत्र थे, घणपृष्टभाग से धक्कालहर कैसे परावर्तित होते है इस पर रिसर्च किया।
विमान के पंख और पूछ को ऎसे लहर की जरूरत रहती है। इस कारण धवन के रिसर्च ने विमान उड़ान और विमान बनाना आदि क्षेत्र में सफलता प्राप्त किया। उनके डॉक्टरेट के लिए प्रस्तुत किये गए लेख के प्रयोग अभ्यासक्रम में शामिल किये गए इस कारन उन्हें वायुगति क्षेत्र में सन्मान मिलने लगा। हवा से होनेवाले घर्षण से विमान के गति को जो विरोध होता है उसके लिए उन्हों ने एक उपाय निकाला है। एक मिलीमीटर धातु की पट्टी लटका के हवा के झोके में रखते और पट्टी निचे गिरते तक उसका रिसर्च करते थे। यह रिसर्च सन 1999 – 2000 के अभ्यासक्रम में समाविष्ट किया गया है।
वैज्ञानिक पद पर नियुक्ति | Appointment of scientist
डॉ.सतीश धवन सन 1951 को बंगलौर के भारतीय विज्ञान संस्था में वैज्ञानिक के पद पर नियुक्ति हुई। सन 1955 में विमान इंजीनियरिंग विभाग के प्राध्यापक बने और आगे वे विभाग प्रमुख बने।
भारत में श्रवण के माध्यम से उड़नेवाले विमान की चाचणी के लिए उन्हों ने हवा-बोगदे बनाया। दूसरे विश्वयुद्ध के लिए लेकर गए हुए डकोटा विमान के हवा की टाकिया से हवा-बोगदा बनाया था। आगे उन्हों ने इस पर रिसर्च किया।
डॉ.सतीश धवन के माध्यम से एशिया महाद्वीप में वायुगतिकी क्षेत्र के वैज्ञानिकों की प्रथम आंतरराष्ट्रीय परिषद सन 1980 में बंगलौर में हुई। उसके बाद उन्हों ने वैज्ञानिक की संघटना स्थापन की।
अवकाश अनुसंधान आयोग | Leisure research commission
सन 1972 में डॉ.सतीश धवन अवकाश आयोग के अध्यक्ष बने और वे भारत के अवकाश विभाग के सचिव थे।
पुरस्कार, मानसन्मान | Prize, honor
- सन 1977 में सतीश धवन की इंडियन अकेडमी ऑफ़ सायन्सेस के अध्यक्ष बने।
- भारत सरकार की तरफ से विज्ञान और अभियांत्रिकी क्षेत्र के लिए सन 1971 में ‘ पद्मभूषण ‘ से सन्मानित किया गया।
- भारत सरकार की तरफ से सन 1981 में ‘ पद्मविभूषण ‘ से सन्मानित किया गया।
मृत्यु | Death
दि.03 जनवरी 2003 में उम्र के 83 वे साल में उनका निधन हुआ।
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