Biography of the great scientist Nicholas Copernicus:निकोलस कोपर्निकस की जीवनी,Science research:विज्ञान अनुसंधान,How round is the earth:पृथ्वी गोल कैसे है.
15 वे शताब्दी में विज्ञान अनुसन्धान पर यूरोप में धर्ममातर्ड और चर्च सत्ता का प्रभुत्व था। अरस्तुजैसे वैज्ञानिकों ने प्राचीन काल में किये गए अनुसन्धान को राजाश्रय दिया गया था। चर्च के विरोध में सिद्धांत पूर्वकथित करनेवाले वैज्ञानिक को मृत्युदंड देने की अमानवीय प्रथा थी। सूर्य-केंद्र-ब्रमांड संकल्पना को विज्ञान में मान्यता है। Heilo-Centric Universe जैसा सूर्य ब्रह्माण्ड का केंद्रबिंदु है।
पृथ्वी, चंद्र, तारा आदि ग्रह सूर्य के सभोवताल घूमते है। लेकिन 1507 पहले चर्च के सिद्धांत के नुसार पृथ्वी ब्रह्माण्ड का केंद्रबिंदु समजा (Geocentric Universe) जाता है। सूर्य, तारा आदि ग्रह पृथ्वी के आसपास घूमते है ऎसा समझते है लेकिन यह संकल्पना में सुधार करते हुए सूर्य-केंद्र-ब्रम्हांड संकल्पना प्रस्थापित करनेवाला महान प्रज्ञावंत वैज्ञानिक ‘निकोलस कोपर्निकस’ था।
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‘निकोलस कोपर्निकस’ का परिचय | Introduction to ‘Nicolas Copernicus’
निकोलस कोपर्निकस का जन्म 19 फरवरी 1473 में पोलैंड देश के टोरेन शहर में हुआ। कोपर्निकस ने क्रेंकाव शहर के मिशनरी स्कुल में पढ़ाई की। गणित और चित्रकला आदि विषयों में उसकी रूचि थी। सन 1496 में इटली में वैद्यकशास्त्र और लॉ की पढ़ाई किया। सन 1500 में टॉलेमी नामक इजिप्शियन वैज्ञानिक ने पृथ्वी यह ब्रह्माण्ड का केंद्रबिंदु है इस विषय पर सिद्धांत बनाया। पृथ्वी केंद्र ब्रह्माण्ड यह सिद्धांत सन 1540 तक विश्व को मान्य था।
खगोलशास्त्र की बुक पढ़के कोपर्निकस को विज्ञान में अनुसन्धान करने की इच्छा जागृत हुई।
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विज्ञान अनुसंधान | Science research
सन 1503 में कोपर्निकस ने फेरार विद्यापीठ से डॉक्टरेट की पदवी प्राप्त किया। धर्मोपदेशक के कार्य पुरे होने के लिए विज्ञान की आवश्यकता रहती है। कोपर्निकस के नुसार सूर्य, राशी से सालभर घूमते रहता है। लेकिन ग्रह कभी सिधे तो कभी वक्र मार्ग से घूमते है इस घूमने के गति पर मानव का जीवन आधारित है। यह ग्रह ज्योतिष मानते है और आज भी चालू है। कोपर्निकस की फ्राउनबर्ग के चर्च में ” कैनन ऑफ़ दी चर्च ” पद पर नियुक्ति हुई।
पृथ्वी गोल है | The earth is round
कोपर्निकस ने विश्व उत्पत्तीसंबंधी वैज्ञानिक विचार उपलब्ध करके दिया। समुन्दर में बहुत दूर जानेवाले जहाज के शेड का दिया क्षितिज के पास जाकर के दिखता है तो कभी नहीं दिखता है इस अवलोकन से पृथ्वी गोल है यह खोज किये उसके बाद खगोलशास्त्रज्ञों ने उसमे सुधार किये। कोपर्निकस ने अर्शशास्त्र विषय में अनुसंधान करके ” ग्रेशेम ” का नियम बनाया है। पोलैंड देश में एक जैसी नानी होनी चाहिए ऎसा उसका विचार था।
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निकोलस कोपर्निकस की खास बातें | Nicholas Copernicus’ specialties
व्हिटेनबर्ग विद्यापीठ के प्राध्यापक ‘ जॉर्ज जो अचिंहेटस ‘ ने सन 1539 में कोपर्निकस के विज्ञान संशोधन की प्रशंसा की। कोपर्निकस ने अपना अनुसंधान ” डी रिव्होल्यूएशनबास आर्बिअम कोलेस्टियम ” नाम के ग्रंथ में पूर्वकथित किया था।
सूर्य केंद्र ब्रम्हांड सिद्धांत की खोज के कारण धर्मांध चर्च से अपना अमानवी अपमान हो सकता है ऎसा कोपर्निकस को डर था।
24 मई 1543 को ”De Revolutionibus Orium Colestium” विज्ञान ग्रंथ प्रकाशित हुआ और धर्मांध चर्च सत्ता ने सन 1616 में प्रतिबंधित किया।
कोपर्निकस के अनुसंधान का अभ्यास करके विश्व में गेलीलिओ, जॉन केप्लर, आयझॅक न्यूटन आदि वैज्ञानिकों ने खगोलशास्त्र में ” विज्ञान क्रांति ” किये।
मृत्यु | Death
निकोलस कोपर्निकस का निधन 24 मई 1543 में पोलैंड के फ़्रोम्बोर्क शहर में हुआ।
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