आज इस Article के माध्यम से आपको जीवन के बारे में कुछ अनसुनी बातें Question बताने जा रहे है। यह कहानी आपके मन में Question निर्माण करेगी और यह Question हमारे जीवन में बहुत ही मत्वपूर्ण मायने रखेंगे। दोस्तों आपके मन में 10 Question निर्माण होनेवाले है, इस 10 Question के बहुत ही जल्द जबाब मिलनेवाले है ।यह 10 Question बताने से पहले मै आपको एक कहानी बताने जार रहा हु। यह कहानी हमारे जीवन में परिवर्तन ला सकती है। परिवर्तन ही सृष्टि का नियम है।
अपने जीवनशैली का ध्यान कैसे रखे
सृष्टि के नियम को हम बदल नहीं सकते। सृष्टि के अनेक नाम है जैसे की कुदरत, प्रकृति , निसर्ग आदि। इस Articale में बतानेवाले Question और कहानी भी सृष्टि के नियम से बनी लेकिन इस कहानी का चतुर कबुतर अपने अहंकार में किसी की मदद नहीं करता और खुद भी मरता है और जो मदद मांगने के लिए रो रही थी उसे भी मरने देता है। तकलीफ, दर्द किसी और को होता है।
कहानी का नाम / Story name
- समय पर मदत
कहानी के कलाकार / Story Artists
- चिठी
- कबुतर
- पेड़
कहानी का खलनायक / Villain story
- शिकारी
कहानी / story
एक गांव के तालाब के किनारे चिठियों का बसेरा था।चिठिया तालाब के किनारे ठंड के कारण मौज-मस्ती करते हुए टहलने निकलती थी।एक दिन चिठियों का मुखिया चिठी, तालाब में गिरती है और बचाने के लिए चिल्लाने चीखने लगी और पेड़ का पता और कबुतर की राह देखते लगी। कबुतर पेड़ पर ही बैठा था और चिठी की मजा देखने लगा।कबुतर ने मेरी मदत करना चाहिए, मुझे बचाना चाहिए इसलिए चिठी जोर-जोर से चिल्लाने चीखने लगी।लेकिन कबुतर को कोई दया नहीं आई कबूतर बहुत ही घमंडी था, अपने घमंड में चूर था मै इसकी बार-बार क्यों मदत करू मुझे क्या लिलेगा, मै बचाने नहीं जाता यही बातें सोचते हुए कबुतर पेड़ पर ही बैठा रहा और चिठी पानी में डूबकर मर गई।
शिकार करनेवाले शिकारी ने भी मोके का फायदा लिया और चौका लगाया, क्यों की जब कबुतर पेड़ पर बैठा रहता था तभी शिकारी के निशाने पर कबुतर रहता था और यह दॄश्य देख कर चिठी शिकारी के पैर को काट देती थी और शिकारी का निशाना चूका देती थी और शिकारी के हाथों से कबुतर की जान बचाती थी लेकिन इस बार कबुतर की जान कोण बचाएगा ?
कबुतर पेड़ पर ही बैठ कर चिठी की मजा देख रहा था और चिठी बेचारी मर जाती है। इस मोके का फायदा लेते हुए, शिकारी अपना निशाना लगाता है, क्यों की इस बार उसके पैर को काटनेवाला, निशाना चुकानेवाला कोई नहीं था। शिकारी का निशाना कबुतर को लगता है और कबुतर भी मर जाता है।
चिठी और कबुतर की बहुत ही बेरहमी से मौत होती है।
पेड़ बेचारा उस दिन बहुत रोता है, बहुत दुःख भी होता है।क्यों की मेरे आँखों के आगे दोनों जीवों की मौत हुई। मेरे पत्ते के कारन चिठी की जान बच सकती थी लेकिन घमंडी कबुतर ने मेरा एक पत्ता भी पानी में नहीं गिराया। क्यों की चिठी मेरे पत्ते पर बैठ कर किनारे तक बहुच ही जाती और चिठी की जान बचती और चिठी की जान बचती तो कबुतर भी नहीं मरता।
चिठी और कबुतर के मौत का दुःख पेड़ को हुआ लेकिन उससे भी ज्यादा दुःख इस बात का होता है की, आज के युग में उदारता की भावना बहुत ही कम लोगों में नजर आती है।
कहानी का सार / summary of the story
मनुष्य यह समाजशील प्राणी है।मनुष्य समाज में ही रहता है।समाज में ही अपना नाम कमाता है, अगर हमने अच्छे कर्म किए तो समाज ही हमें अच्छे इंसान का दर्जा प्रदान करता है। अगर हम भी कबुतर की तरह घमंडी बनकर बैठे तो हमेंशा की तरह एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर भटकते रहेंगे और एक दिन हमारे घमंड के कारण हमारी भी कोई शिकार करके मार डालेगा।
कभी भी किसी भी समय हमें दूसरों की मदद की जरूरत पड़ती है , ठीक उसी तरह दूसरों को भी हमारे मदद की जरूरत पड़ती है। सभी लोग एक दूजे की मदद करे और अपना जीवन खुशाल बनाए।
घमंड, इंसान को विनाश की तरफ लेके जाता है और सेवा, मदद खुशबु की तरह फैलती है और जीवन को हिरे की तरह चमकाती है।
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