Benefits of eating Banana:केला खाने के लाभ, केला के औषधि युक्त गुण :Medicinal properties of banana, Chlorine, iron, copper, manganese, potassium and magnesium kaise paye.
आयुर्वेद में कहा गया है की, सुबह केला खाने से उसकी कीमत ताम्बे के बराबर, दोपहर में चांदी के बराबर और रात में सोने के बराबर रहती है
केला महाराष्ट्र में हर जगह पाया जाता है। उसके पेड़ की उचाई 32 फुट तक रहती है। पान की लंबाई 10 से 75 फुट तक और रुंदाई 02 फुट तक रहती है। केला उष्णकटिबंधीय और समशीतोष्ण प्रदेश में होते है।केला पौष्टिक और स्वादिष्ट रहता है।
केले के उत्पादन में भारत नंबर एक पर है। महाराष्ट्र में ठाणे, वसई, जळगाव, भुसावळ, सूरत, बलसाड, आदि जिले में केला का उत्पादन लिया जाता है। दक्षिण भारत में सभी के यहाँ केले का बगीचा रहता है।
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केला के नाम | Name of Banana
- संस्कृत – रंभा, कदली
- मराठी – केळ Benefits of eating Banana
- हिंदी – केला
- इंग्रजी -Banana
केला के पान का उपयोग धार्मिक उत्सव, व्रत, भगवान को नैवेद्य, कथा के समय आदि मंगल समय पर होता है।
केला का पेड़ लक्ष्मी का प्रतिक है और खेत का देवता है।
banana में ए, बी, सी, डी, इ, एच जीवनसत्व ज्यादा मात्रा में रहते है। क्लोरीन, आयरन, ताम्बा, मैगनीज, पोटॅशियम और मैग्नेशियम इनका प्रमाण फ़ॉस्फ़रस से ज्यादा रहता है। केला का पेड़ मानव के लिए बहुगुणी है। केला मधुर, ठंड, जुलाबरोधक, स्निग्ध रहते है। केला को प्रतिदिन सेवन करने से कफ, रक्तविकार, दाह, क्षय, वायु आदि विकार दूर होते है। कच्चा केला की सब्जी बनाते आता है। केला के फूल, गाभा, कवले अंकुर की सब्जी बनाते है।
केला के पेड़ का कंद गैया, भैस को खिलाने से दूध में बढ़ोत्तरी होती है। कच्चा केला पकाकर करेले के रस के साथ खाने से मधुमेह के रोगी के लिए फायदेमंद है।
केला का शरबत, चटनी, आचार, जेम, जेली बनाते है।
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Medicinal properties of banana |केला के औषधियुक्त गुण
गैया के दूध से बनाए गए दही के साथ केला खाने से मुँह का विकार दूर होता है।
दही में केला और केसर डालके खाने से जुलाब और मुरड़ा से छुटकारा मिलता है। आंत के विकार भी दूर होते है।
पके हुए केला खाने से वीर्यवर्धक, पुष्टिकारक और मांसवर्धक के लिए लाभदायक है।
आव के लिए एक पकी केल, इमली का पानी थोड़ा नाम साथ में मिलाकर पिने से आराम मिलता है।
स्वप्नविकार किंवा पेशाब विकार के लिए खाना खाने के बाद 2-3पके केले खाने से 03 महा में आराम मिलता है।
पकी केल और ताक का लेप तैयार करके (तल पैर ) Bottom foot को लगाने से गर्मी और अंगार कम होती है।
पीलिया के रोगी ने पकी केल सहद में मिलाकर खाने से आराम होता है। लेकिन तेल से निकले पदार्थ, घी के पदार्थ नहीं खाना चाहिए। आहार हलका रखना चाहिए।
नाक से खून निकलता हो तो पकी केल, दूध और शक़्कर के साथ खाने से आराम होता है।
पकी केल, आँवला का रस और शक़्कर मिलाकर खाने से बार-बार पेशाब के विकार से आराम मिलता है।
केला खाने से मष्तिष्क अच्छा रहता है।
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मासिक धरम के समय ज्यादा रक्तस्त्राव होने से ढीलापन, कमजोर , थकवा आता है यह दूर करने के लिए केल के फूल की सब्जी खाना जरुरी है।
केल के छीलके को सुकाकर जलाने के बाद राख को फटे हुए एड़ियों पर लगाने से एड़ियों भर के आती है।
पकी केल में शक़्कर मिलाकर थोड़ा पकाकर सरबत पिने से खासी कम होती है।
केला के हरे पत्ते में ” क्लोरोफिल ” रहता है, यह हमारे शरीर के लिए हितकारक रहता है, इसलिए पत्ते पर खाना खाने से पेट के विकार कम होते है।
पकी केल और गुलाब के फूल का रस मिलाकर रात में सोने से पहले चेहरे को लगाकर एक घंटे के बाद गरम कोहमट पानी से चेहरा धोना चाहिए इस से मुहासे, काले डाग, सुरकुत्या, शुष्कपणा कम होता है। चेहरे का तेज बढ़ता है।
केला के पत्ते को जलाकर राख को खोबरा तेल में मिलाकर लेप को जले हुए जखम पर लगाने से अंगार कम होती है और जखम जल्द से जल्द भरता है।
केला के पेड़ से रस्सी, चट्या, कागज, बनाए जाते है।
बुखार के समय केला नहीं खाना चाहिए
ज्यादा पकी और काली केल नहीं खाना चाहिए क्यों की सर्दी होती है।
रात में केला नहीं खाना चाहिए।
केला खाने के बाद लायची मुँह में चगलते रहने से केला बाधक नहीं होता है।
केला ठंडा होता है इसलिए कफ के व्यक्ति ने केला कम ही खाना चाहिए।