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भारत के पवित स्थानों मे नर्मदा का भी बहुत बड़ा महत्व है। नर्मदा मध्यभारत की एक प्रमुख नदी है। वैसे देखा जाए तो नर्मदा के प्रवाह से भारत के दो भाग पड़े है, दक्षिण भारत और उत्तर भारत
माँ नर्मदा की रहस्यमय कहानी | Mysterious story of Mother Narmada
देवो के देव महादेव एक बार जंगल में तप करने के लिए बैठ गए। उन्हें बहुत ही पसीना आता था। उस पसीने से एक अलोकिक कन्या का जन्म हुआ। कन्या धरती पर अवतरित होते ही अपनी बाल लीलाओं से बहुत ही चमत्कार करती थी। देवो के देव महादेव उस कन्या से बहुत ही प्रसन्न हुए। प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उस कन्या का नाम ” नर्मदा ” रखा। narmada river essay
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नर्मदा का अर्थ | Meaning of Narmada
नर्म = सुख , दा = देना , नर्मदा = सुख देना।
माँ नर्मदा कैसे धरती पर अवतरित हुई ? | How did Mother Narmada descend on earth?
राजा हिरण्यतेजा ने 14 बरस तक बहुत ही घोर तप किया और भगवान शिव को प्रसन्न किया और माँ नर्मदा को धरती पर आने का वरदान माँगा। भगवान शिव ने ततास्तु कहाँ और अपनी बेटी माँ नर्मदा को ख़ुशी-ख़ुशी भगवान शिव और पार्वती ने मगरमच्छ के आसन पर सवार किया और विंध्यचल पर्वत पर भेजा और पश्चिम दिशा में बहते रहना और धरती के मानव जीवन का उद्धार करना।
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माँ नर्मदा का उद्गम | Origin of Narmada
मध्यप्रदेश के अमरकंटक इस पहाड़ी के चोटी से नर्मदा का उद्गम हुवा है। इस जगह पर नर्मदा का प्रवाह बहुत ही तेज है। नर्मदा नदी का प्रवाह पहाड़ी और चटानों से गया है। पहाड़ो, चोटी और झील से पार करते हुए नर्मदा मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और गुजराथ तीनों राज्य को मिलते हुए जाती है। दरी खोरी से जाते समय नर्मदा का प्रवाह बहुत ही तेज रहता है। नर्मदा के झरनों और धबधबे का आवाज बहुत दूर तक कानों मे गुजते हुए रहता है। narmada river essay
नर्मदा का प्रवाह बहुत ही तेज है इसलिय नर्मदा नदी पर ब्रिज नही है। नर्मदा को महाभारत मे ” रेवा ” नाम से पहचानते है। रेवा इस नाम का अर्थ ” चंचल ” होता है।
उद्गम से लेकर समुदर को मिलते तक नर्मदा का रूप बहुत ही प्यारा है। जगह-जगह पर आवाज करने वाले झरने बहुत ही प्यारे लगते है। दोनों तट का हरा-भरा जंगल, वहा पर मन शोक्त घुमनेवाले बाघ, सिंह, भालू इत्यादी के कारण यहाँ का नजारा बहुत ही मनमोहक है।
प्राचीन काल मे नर्मदा के दोनों तट पर बहुत ही रुषिमुनी के आश्रम है। नर्मदा उत्तर के तरफ का अवन्ती राज्य और दक्षिण राज्य के बीज की सीमारेषा है ऐसा उल्लेख महाभारत मे किया गया है।
नर्मदा का पानी बहुत ही साफ है, कुछ जगह प्रवाह के पत्थररों के कारण पानी को रंग प्राप्त होते है। संगमरमर के पत्थर से उपर नर्मदा का प्रवाह बहते रहता है। वहा पानी निले रंग का रहता है कुछ जगह पर लाल पत्थर से प्रवाह बहते रहता है।
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पुराणों में नर्मदा का उल्लेख है। नर्मदा शंकर की लड़की है। नर्मदा में स्नान करना बहुत ही शुभ माना जाता है। नर्मदा के तट पर शिव मंदिर है। ओंकारश्वर का मंदिर नर्मदा के तट पर है।
नर्मदा के प्रवाह की दुरी 1, 312 किलोमीटर है। गुजराथ के भडोच शहर के पास समुंदर को मिलती है। नर्मदा पवित्र नदी है नर्मदा की परिक्रमा करने की प्रथा है। नर्मदा जहाँ समुन्दर को मिलती है याने की भडोज, भडोज से भक्त गण परिक्रमा करने की सुरवात करते है। नर्मदा के एक बाजु के तट से अमरकंटक उद्गम स्थान तक जाते है और दुसरे तट से वापस भडोज को जाते है।
भडोज और अमरकंटक खेरिज, कपिलधारा, मांधाता, ओंकारश्वर, महेश्वर, शुक्रतीर्थ, नरसिंहपुर यह बहुत ही प्रसिद्ध तीर्थ क्षेत्र नर्मदा के तट पर है।
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