t c chhabra rcm : Thoughts of Chhabra ji (टी.सी.छाबड़ा जी के विचार), t.c chhabra net worth, thoughts are with you, thoughts become things.
दोस्तों मुझसे पूछ लिया करते है की आपके मन में आर सी एम बिज़नस का विचार कैसे आया,कैसे इसकी परिकल्पना बनी, क्यों यह करने की आपको प्रेरणा मिली ? इस तरह के सवाल मुझे उस सुनहरी सुबह की अमृत वेला में खींचकर ले जाते है, जिस समय इस विचार का प्रादुर्भाव हुआ।
आज आर सी एम बिज़नस बहुत अच्छी स्थिति में पहुंच चूका है। लोगों के पास दिखने के लिए ढेरों परिणाम है , उत्पादों की विस्तृत शृंखला है, कम्पनी का स्थापित तंत्र है। फिर भी जब कोई डिस्ट्रीब्यूटर आकर छोटी मोटी चुनौती की बात करता है तो एक बार फिर इसकी सुरवात के वे दिन याद आ जाते है जब आर सी एम बिज़नस के पास न परिणाम थे, न इतने उत्पाद और न इतना विशाल तंत्र था। कम्पनी के पास एक हौसला के आलावा कुछ नहीं था, कितनी बड़ी -बड़ी चुनौतियां सामने खड़ी थी, कितने झंझावातो को झेला था, सारि घटनाएं मन मस्तिष्क पर तैरने लग जाती है। t c chhabra rcm
कुछ भी पूर्व नियोजित नहीं था। कहि चलते फिरते आये हुए विचारो का हल्कासा अंश जुलाई २००० की एक सुबह को कई सारि संभावनाओं को लेकर अंकुरित हुआ सुबह लगभग २.३० बजे का समय था। उस उस विचार ने मेरी नींद को पूरा उड़ा दिया। बहुत समय तक मै पुनः नींद में जानेका प्रयास करता रहा लेकिन सब कोशिश बेकार थी। वह एक बहुत अदभुत विचार था। t c chhabra rcm
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नेटवर्क का का प्राकृतिक मुलभुत सिद्धांत। पूरी सृष्टि की रचना जिस सिद्धांत से हुई है। हम सब की रचना
करने वाला एक है और उसके नेटवर्क से ही हम सब पुरे जगत में फैले हुये है। हम सब के तार कहि न कही से एक दूसरे से जुड़े है। हमारा आपस में बहुत गहरा रिस्ता है। हम स्वार्थों में उस गहरे रिश्ते को पूरी तरह भूल चुके है। जिसके कारण प्राणी केवल संकट का सामना कर रहा है। t c chhabra rcm
आज के समय में पुनः उसी सिद्धांत को कैसे लागु किया जा सकता है,कैसे लोगों को एक किया जा सकता है, कैसे उनको एक साथ एक व्यवसाय का भागीदार बनाया जा सकता है ? सबको इस बात का लाभ मिलेगा की वे एक दूसरे का सहयोग करे। आज के समय में जो इतना अलगाववाद आ गया है वह समाप्त होकर एकता कायम होगी। t c chhabra rcm
हर किस्म के लोगों को काम करने का भरपूर अवसर मिलेगा हमारे हाथों का पैसा कहि बाहर जाने की बजाय हमारे ही पास रहेगा और विस्तृत रूप से सम्पन्नता का कारण बनेगा। स्वावलम्बन बढ़ेगा और लाचारी समाप्त होगी। लोग अपने घर परिवार के लिए आवश्यक साधन सुविधाएं जुटा सकेंगे। अपने बच्चों को शिक्षा प्रदान कर सकेंगे। नैतिक और सभ्य समाज की स्थापना होगी।
उस विचार में वाकई कुछ ऐसा था जो नींद से जगा देने वाला था। तब मैंने उठ जाना ही बेहतर समझा और उस विचार को लिखना शुरू किया और जैसे जैसे लिखता गया,असीम संभावनाओं के द्वार खुलते गए। t c chhabra rcm
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उस विचार में ऐसी अदभुत क्रांति छिपी थी की एकदम उस यकीन करना मुश्किल हो रहा था। बार बार यह सोचने पर विवश हो रहा था की यह मात्र कल्पना की ऊंची उड़ान है वास्तविकता से बहुत दूर लेकिन उसके उत्तर के रूप में उस विचार से उत्पन्न विलक्षण आशा उस नकारात्मक सोच को टिकने नहीं दे रही थी।
दिन के सर्वश्रेष्ठ समय अमृत वेला की नीरव शांति का बड़ा सहयोग रहा। न कहि जाने की जल्दी, न किसी तरह का कोई व्यवधान मन द्वारा उठाये गए कई प्रश्नों के उत्तर अपने आप उन विचार तरंगों द्वारा मिलते जा रहे थे। जब सभी प्रश्न हार मान कर शांत हो गए तो उस विचार पर नियोजन सुरु हुआ। कैसे सुरवात होगी,शुरू में किन को यह विचार बताना है किस तरह से प्रस्तुत करना है, क्या क्या तैयारियां करनी होगी, क्या क्या कठिनाईया आ सकती है। उनका समाधान किस प्रकार होगा सारि बातों का मानचित्र मस्तिष्क में तैयार कर लिया।
एक क्षण का यह विचार जो कुछ पलों में संयोजित हुआ और एक अदभुत क्रांति का सूत्रपात बन गया। यह विशुद्ध व्यावसायिक विचार न था। इसके पीछे जगत के कल्याण की अनुभूति भी थी।
ये पल बहुत बिसमयकारी थे, सब कुछ दिवा स्वप्न जैसा लगता था। घर -घर में रोशनी के चिराग जलते दिखाई दे रहे थे। इंसानों के बिच पवित्र प्रेम की झलक दिखाई दे रही थी। जगत के सरे संताप मिटते हुए नजर आ रहे थे।
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मैंने इस अविश्वसनीय से विचार को बिल्कुल दबाने का प्रयास नहीं किया। मै उसका विश्लेषण करता चला गया और मै ऐसा कोइ कारण भी नहीं ढूढ़ पाया की ऐसा नहीं हो सकता। मैं शत प्रतिशत उस विचार से आश्वस्त था। अकसर किसी भी कार्य का विचार करते समय मन के किसी कोने में थोड़ी सी असफलता का डर बना रहता है लेकिन उस समूचे विश्लेषण ने और उन असीम संभावनाओं की उम्मीद ने सारे डर को दूर भगा दिया।
यह बड़ी विचत्र सी बात बहुत ही सहज रूप से घटित हो गई, इससे यह जानने को मिला की परमात्मा ने हर इंसान के भीतर विभिन्न प्रकार की शक्तियों का भण्डार भरा है। जरूरत है सिर्फ उन्हें उद्घाटित करने की। हम अपनी शक्तियों को पहचान नहीं पते है। हम अपनी आर्थिक स्थिति से, शाररिक क्षमता से, अपने ज्ञान से, अपने सामाजिक स्तर से, अपने पारिवारिक स्तर से, अपने राजनितिक पहुंच से, अपने पूर्वजों की स्थिति से अपने साधनों से आदि अनेक प्रकार से अपनी शक्ति का आंकलन करते है लेकिन इन सबसे बढ़कर हमारे पास एक विचार शक्ति है उसको विस्मरित कर देते है।
विकारों की स्थिति सभी प्रकार की शक्तियों, क्षमताओं को कई गुना बढ़ा भी सकती है और कई गुना घटा भी सकती है। एक विचार में कितनी शक्ति और विशालता हो सकती है इसका स्पष्ट उदारहण है आर सी एम बिज़नस।
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मै एक सरल सा संकोची, अंतर्मुखी और मितभाषी इंसान था। मेरे में न कोइ नेतृत्व क्षमता थी, न बोलने की कुशलता थी, न दुनिया का ज्यादा ज्ञान था, न बहुत मत्वकांक्षा थी,थी तो सिर्फ एक सोच जो किसी भी व्यवस्था की मात्र बुराई कर देने की बजाय उसमें मै क्या कर सकता हूं इस पर ज्यादा चलती थी।
ज्यादातर हम लोग किसी भी अव्यवस्था के बारे में किसी को दोषी करार देकर कार्य की इति श्री मान लेते है। इसका परिणाम शून्य होता है लेकिन मेरे मन में ऐसी परिस्थिति में एक विचार जरूर आता था की काश हम इस विषय में कुछ कर सके। शायद मेरी इसी सोच को या सामाजिक सुधार के लिए भीतर दबी इच्छा को जब आर सी एम रूपी इस सुन्दर विचार की चिंगारी मिली तो वह इच्छा बलवती होकर ज्वालामुखी के रूप में बहार आ गई और मै अपने आप में अदभुत परिवर्तन महसूस किया।
अपने आपको बहुत सक्षम और बहुत कुछ कर गुजरने लायक इंसान पाया। मुझे कहि भी यह महसूस नहीं हो रहा था की मै किसी भी रूप में कमजोर इंसान हु। मुझे ऐसा लग रहा था की पहली बार मुझे अपने लायक कार्य मिला है। मेरे जीवन के सारे आकर्षण ऐसी विचार पर आकर केंद्रित हो गये।
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