pain with inspiration causes:वेदना से प्रेरणा तक,inspiration and expiration diagram, a inspirational message, a inspirational speech.
इन्सान भावनाओं के वशीभूत होता है। भावनाओं से ही सुख और दुःख का निर्माण होता है। भावनाएं ही प्रेरणाएं बनती है। और भावनाएं ही प्रेरणाओ को समाप्त करती है। भावनाएं ही मन की विभन्न स्थितियो का निर्माण करती है। क्रोध ,दया प्रेम ,आनंद ईर्ष्या आदि सभी का कारण भी भावनाएं होती है। कोई भी इंसान ऐसा नही हो सकता जो भावनाओं से प्रभावित नही होता। pain with inspiration causes
बड़े से बड़े निर्दयी मनुष्य के जीवन में भी ऐसी भावनाओं भरे पल आ सकते है की वह दया भर से भर जाये। बड़े से बड़े प्रेममय इन्शान के जीवन में भी ऐसे पल आ सकते है की वह क्रोध से भर जाये। मशीन और इंसान में यही फर्क है की मशीन भाव शून्य होती है अतः हमेशा एक ही गति से कार्य करती रहती है जबकि मनुष्य की क्षमता भावनाओं के अनुरूप परिवर्तित होती रहती है।
जीवन में ऐसे पल जब आते है हमारी भावनाओं को ठेस पहुचाते है तो वे पल हमारी हर गतिविधि को और निर्णयो को प्रभावित करते है। यही पर हमारी परीक्षा की घड़ी होती है उन भावनाओं को हम किस प्रकार सकारात्मक रुख देते है। आर.सी.एम बिजनस करते हुये अनेको बार ऐसे पलो से गुजरना पड़ा जो गहरी वेदना पहुचाने वाले थे। pain with inspiration causes
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कई बार ऐसे क्षण आते है जब हम मूल्य आधारित काम करना चाहते है। सत्य और ईमानदारी राह निर्मित करते है। अपनी सारी रीती नीति इस तरह की बनाते है जहा नैतिक मूल्यों चलकर सभी को अच्छा प्रतिफल मिल सकता है। सब एक दूसरे साथ मिलकर काम करके सफलता के हकदार बन सकते है। उसके बावजूद कुछ लोग अपनी पुराणी आदतों के वशीभूत होकर ,अपनी नादानी में ,किसी की उलटी सीधी बातों में आकर हमराह होकर या किसी क्षणिक लालच में आकर अनैतिक गतिविधियों में लिप्त हो जाते है।
श्री शिक्षाओं को ताक में रखकर वे खुद भी नुकशान करते है और दुसरो का भी नुकसान कर देते है। यो सिस्टम समय में अच्छी जगह पर पहुचा सकता है उसमे वे अपनी गलत हरकतों द्वारा हर जगह मुश्किलें खड़ी कर देते है। जो सिस्टम नैतिक मूल्यों द्वारा आगे बढ़ना चाहता है उसमें वे लोग बहुत बड़ा रोड़ा बन जाते है। जो लोग इस सिस्टम मेसे पैसा कमा रहे होते है वे ही जब इस प्रकार की गतिविधियां करते है यह एक गहरी वेदना का कारण बनता है और बार बार मन यह सोचने को विवस हो जाता है ,की हम कर किस के लिए है ?
जिन लोगो के लिये हम अपने आप को समर्पित कर दे ,उनको ऊपर उठाने के लिए हम अपने सारे प्रयास लगा दे। उनकी ख़ुशी के लिए अपनी ख़ुशी कुर्बान कर दे। उनके सिर पर सफलता का ताज पहना दे। चन्द लालच में आकर व किसी बहकावें में आकर अपने आप को पथ भ्रमित कर दे और वे ही लोग दगाबाजी करने लगें। हमें नष्ट करने के सारे प्रयासों में पूरी तरह लिप्त हो जाये। ऐसा सलूक करने लग जाये जैसे आपकी सारी टीम को गुमराह करने में लग जाये ,तो वह भी एक गहरी वेदना पहुचाता है।pain with inspiration causes
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जब लोग हमे साथ देने का वादा करते है ,हर परिस्थिती में साथ निभाने की निभाने की कसमे खाते है , बड़े बड़े लक्ष्य बताकर हम से बहुत बड़ी तैयारिया करवा लेते है , फिर कोई छोटी मोटी मुश्किल आने पर या और किसी भी कारण से अचानक हमे संघर्ष करने के लिए अकेला छोड़ जाते है। हमारी तैयारियां हमारे ऊपर बोझ बनकर खड़ी हो जाती है तो भी हमे गहरी वेदना पहुँचती हैं।
बिज़नस चलते हुए जब भी कोई परेशानी आये ,जब भी कहि बिज़नस में आगे लग आये ,या इस विस्तृत बिज़नस में कहि भी कोई समस्या आये और उसका सारा दोषारोपण हमारे पर कर दिया जाय तो भी गहरी वेदना पहुँचती हैं. pain with inspiration causes
इस प्रकार की स्थितियां अभियान के हर पड़ाव पर आती रही। मनुष्य अपनी संवेदनाओं को पूरी तरह से रोक नही है। आखिर हर इंसान के भीतर इच्छा होती है कि कुछ लोग तत्काल पैसा बनाने के लालच में या दूसरे के हक का पैसा छीनने के चक्कर में उल्टे सीधे रास्ते अपना लेते है। इतना मस्तिष्क सहीतरीके से काम करने में लगाये तो बहुत अच्छी सफलता प्राप्त कर सकते हैं आश्चर्य की बात यह है की हमारे यहाँ गुमराह होने वाले लोग भी आसानी से मिल जाते है। pain with inspiration causes
शायद कुछ लोग स्थायी आय की बजाय तत्काल पैसा पाने की कोशिस ज्यादा काम करते है। यदा -कदा ऐसी परिस्थिति बन जाये तो उससे ऊपर आना फिर भी आसान हो सकता है लेकिन बार बार ऐसी स्थितिया आने पर इंसान को अंदर से पूरा झकझोर देती है।
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इस बिजनस को करते हुए अनेकों बार ऐसी स्थितियां बनी की मन को यह सोचने से नहीं रोक पाया की क्यों में यह ही कार्य करु जिसमें मेरा व्यक्तिगत जीवन पूरा समर्पित करने के बावजूद मुझे इतनी वेदना झेलनी पड़ती है। कब तक मै ें परिस्थितियों से लड़ता रहूँगा ? मेरे मन का कोई किनारा मुझे मेरे संकल्प स विमुख करने का प्रयास करता। लेकिन मेरे भीतर ऐसा कुछ चल रहा था। जो ऐसी नकारत्मक सोच को ज्यादा देर चलने नहीं देता था।
हर बार एक बात जो अत्यंत प्रेरणादायक साबित हुई मन को समझती थी की तुम्हारे एक व्यक्ति के कुछ दर्द सहन कर लेने से अगर लाखो का दर्द दूर हो सकता है तो भी बहुत फायदे का सौदा है। आँखों के सामने जब सुनहरे भारत का चित्र दिखाई देता था तो वह दर्द एक पल में दूर हो जाता था। मन में विचार आता था की क्या ये छोटी-छोटी घटनाएं इस अभियान का मुख मोड़ सकती है।
यही तो अग्निपरीक्षा की घड़ी है यह तो पार करनी ही पड़ेगी। जो दृढ़ संकल्प की बात तुम लोगों से करते हो उसे पहले खुद के भीतर उतारो। तुम यह क्यों सोचते हो की लोग क्या करते है, तुम यह सोचो की तुम क्या कर सकते हो। अपने आप को मजबुत बनाओ, यह विशाल अभियान है,यह समूचे राष्ट्र की अस्मिता का सवाल है, परमात्मा ने तुम्हें यह विचार देकर एक कार्यभार सौंपा है,अपने मन में कमजोरी लाकर देश का भाग्य बनने से रोकने का तुम्हे कोई अधिकार नहीं है।