1. भ्रष्टाचार प्रतिबंधक विभाग (Anti Corruption Bureau) {ACB}
भ्रष्टाचार प्रतिबंधक विभाग की स्थापना पुणे में 1946 में की गई।यह विभाग पुरे महाराष्ट्र में कार्य करता है। इस माध्यम से भ्रष्ट सरकारी अधिकारी को पकड़ने की योजना बनाकर और उसे पकड़कर इसके मामलो को सार्वजनिक किया जाता है। यह विभाग गृहमंत्रालय के अधीन होकर इस विभाग का नेतृत्व पोलिस महासंचालक के अधिकारी के माध्यम से किया जाता है। राज्य से भ्रष्टाचार का निर्मूलन होना चाहिए यह इस विभाग का मुख्य उद्देश्य है।इस विभाग के सभी अधिकारी पोलिस महासंचालक विभाग को जानकारी पहुचाने के कार्यो के लिए नियुक्त किए गए है।
❂ केंद्रसरकार पुलिस विभाग जानकारी
2. राज्य गुन्हे अन्वेषण विभाग पुणे (CRIMINAL INVESTIGATION DEPARTMENT) {CID}
राज्य गुन्हे अन्वेषण विभाग(अपराधशील खोज विभाग) की स्थापना 1904 में की गई। इस विभाग का ऑफिस पुणे में है।इस विभाग के अंतर्गत गुप्तवार्ता विशेष शाखा का कार्य होता था। यह विभाग गुन्हेगारी तपास करता है। इस विभाग का प्रमुख अधिकारी अतिरिक्त पुलिस महासंचालक के बराबर रहता है।
3. राज्य गुन्हे अभिलेख केंद्र, पुणे
राज्य गुन्हे अभिलेख केंद्र की स्थापना 1989 में हुई है। इस केंद्र के कार्य गुन्हा और गुन्हेगार की जानकारी खोज कर निकालना और इस जानकारी के आधार पर जिला और आयुक्तालय के पुलिस अधिकारीयों के आगे अपराध का खुलाशा करना। इस विभाग के अंतर्गत फिंगर प्रिंट ब्यूरो, हस्ताक्षर और फोटोग्राफी सेल, श्वानपथक और गणक यंत्र विभाग भी आते है। इस विभाग का अधिकारी विशेष पूलिस महानिरीक्षक के बराबर रहता है और यह अधिकारी अतिरिक्त पोलिस महासंचालक गुप्तगुन्हे अन्वेषण विभाग पुणे के अधिकार क्षेत्र में कार्य करता है।
❂ महाराष्ट्र पुलिस भरती परीक्षा पाठ्यक्रम
❂ डॉ.ए.पी.जे अब्दुल कलाम जिवनी
4. राज्य गुन्हे अन्वेषण विभाग ( गुप्त वार्ता ) मुंबई
राज्य गुन्हे अन्वेषण विभाग शासन का कान और आँख है। इस विभाग के द्वारा राजकीय, जातीय संघटना शेतमजुर और ओद्यौगिक कामगार संघटना, अतिरिक्त कार्यवाही आदि पर लक्ष केंद्रित करके इस संघटना के कारण राज्य के कानून व्यवस्था पर कोई विपरीत परिणाम नहीं होना चाहिए इसकी दक्षता लेते है। इस विभाग के प्रमुख अधिकारी को विशेष पुलिस महानिरीक्षक के अधिकार का उपयोग करने की अनुमति रहती है।
5. वायरलेस संदेश कॅरियर विभाग (Wireless Message Carrier Division), पुणे
राज्य के पुलिस थाने से बात होनी चाहिए, कायदा और सुव्यवस्था बनाए रखने के लिए सभी पुलिस स्टेशन से संपर्क होना चाहिए इसलिय वायरलेस सन्देश विभाग की स्थापना हुई है। दंगा, बाढ़, गुन्हेगार को पकड़ना, वाहतूक नियंत्रण आदि पर देखरेख करता है। इस विभाग के प्रमुख अधिकारी को विशेष पुलिस महानिरीक्षक के बराबर का अधिकार प्राप्त रहता है।
6. महामार्ग सुरक्षा पुलिस दल (महामार्ग पुलिस )(Highway Security Police Team (Highway Police)
महामार्ग पुलिस दल की स्थापना दि. 23/ 06/1992 को हुई है। इस दल का मुख्य उद्देश्य, राज्य वाहतूक शाखा बरखास्त होने के बाद राज्य के राष्ट्रिय और राज्य महामार्ग पर खून, लूटमार, चोरी आदि का प्रमाण बढ़ा इस पर देखरेख करने के लिए, अपघातग्रस्त को मदद करने के लिए महामार्ग सुरक्षा पुलिस दल की स्थापना की गई है। इस विभाग के अधिकारी को विशेष पुलिस महानिरीक्षक के बराबर का दर्जा प्राप्त रहता है।
7. महाराष्ट्र पुलिस प्रबोधिनी, नाशिक
महाराष्ट्र में 1906 को भांबुर्डा में पुलिस प्रशिक्षण स्कुल की स्थापना हुई। कुछ दिनों के बाद यह स्कुल सन 1909 को नाशिक में गई। इस स्कुल का नाम पुलिस प्रशिक्षण महाविद्यालय हुआ और उसके बाद महाराष्ट्र पुलिस प्रबोधिनी हुआ। पुलिस उपधिक्षक और सहायक पुलिस अधिकारी को ट्रेनिंग दी जाती है। इस प्रबोधिनी के प्रमुख अधिकारी को विशेष पुलिस महानिरीक्षक का दर्जा प्राप्त रहता है।
8. मोटार परिवहन विभाग, पुणे
महाराष्ट्र राज्य सरकार पुलिस अधिकारीयों के लिए जीप, क्रेन खरेदी करना, सुधारना आदि इस विभाग के काम है। इस विभाग का कार्यालय पुणे में है। इस विभाग के प्रमुख अधिकारी को पुलिस उपमहानिरीक्षक के बराबर का दर्जा प्राप्त रहता है।
9. राज्य राखीव पुलिस दल
इस दल की स्थापना 1948 में हुई है। सबसे पहले पुणे जिले के पुरंदर में इस दल का एक पथक था। उसके बाद 1951 के 38 वे अधिनियमनुसार राज्य राखीव पुलिस दल का संघटन किया गया। उसके बाद दौंड, साम्ब्रा और बड़ोदे में दल का निर्माण किया गया। सौराष्ट्र, गुजरात, विदर्भ और मराठवाड़ा में दल का निर्माण किया गया।’ आजमिति ‘ में महाराष्ट्र राज्य राखीव पुलस दल के 13 ग्रुप है।
10. प्रशिक्षण व खास पथक विभाग, मुंबई
पुलिस प्रशिक्षण के लिए इस विभाग की स्थापना की गई।सन 1960 में खंडाला, जालना में प्रादेशिक प्रशिक्षण स्कुल चालू की गई है। उसके बाद नागपुर, अकोला में चालू हुई। नाशिक में डिटेक्टीव्ह ट्रेनिंग स्कुल की स्थापना की गई। सभी स्कुल पर विशेष पुलिस महानिरीक्षक के अधिकर का उपयोग करके एक निरीक्षक अधिकारी की नेमणुक की गई है।
11. नागरी हक्क सरंक्षण व महिला अत्याचार प्रतिबन्धक
अनुसूचित जाती पर हो रहे अत्याचार तक्रार निवारण के लिए 1973 में नागरी हक्क सरक्षण विभाग का निर्माण किया गया। अनुसूचित जाती /जमाती (अत्याचार प्रतिबंधक) कायदा ,1989 अस्तित्व में आने पर नागरी हक्क सरंक्षण विभाग की कार्यकक्षा व कामो का स्वरूव भी काफी बड गया है। वर्तमान में विशेष पोलिस महा निरीक्षक अधिकारी ही इस विभाग के प्रमुख है। नागरी हक्क सरंक्षण कायदा वैसे ही उपरोक्त कायदो के अंतर्गत नोंदणीकृत गुन्हा उसका समांतर रूप से निरिक्षण कर,निरिक्षण अधिकारी को मार्गदर्शन, प्राप्त अर्ज की चौकसी व शासन अहवाल सादर करना आदि इस विभाग के कार्य है। उसी प्रकार महिला पर होनेवाले अत्याचार, राष्ट्रिय मानवी हक्क आयोग व पुलिस जेल में होनेवाले मृत्यु प्रकरण आदि समस्या के निराकरण हेतु महिला अत्याचार प्रतिबंधक कक्ष की स्थापना की गई। इसके अतिरिक्त महाराष्ट्र राज्य पोलिस आयुक्तालय , जिल्हा ग्रामीण पोलिस दल , पोलिस महासंचालक के अधीन काम किया जाता है।
12. फ़ोर्स वन
राष्ट्रिय सुरक्षा दल (एनएसजी) राज्य में निर्माण किये गए पोलिस कमांडो के पथक को फ़ोर्स वन कहते है। पिछले वर्ष 26 /11 के प्रकरण होने के बाद महाराष्ट्र पोलिस अधिक स्वावलम्बी, आत्मनिर्भर होने के उद्देश्य से इस संकल्पना के आधार पर इस फ़ोर्स वन की निर्मिति की गई। इस फ़ोर्स वन का पहला गट राज्य को समर्पित की गई। इस गट में 216 जवान को शामिल कीया गया। उन्हें एनएसजी दर्जे का प्रशिक्षण मिलने पर ,वे सभी हर परस्थिति से निपटने की काबिलियत उनमे होती है। इन जवानो को कठिन परीक्षा पास होने के बाद ही इस गट में शामिल किया जाता है राज्य शासन ने फ़ोर्स वन का मुख्यालय व प्रशिक्षण केंद्र गोरेगाव में स्थापिथ की है। पोलिस उपमहानिरीक्षक दर्जे के अधिकारी फ़ोर्स वन के प्रमुख होनेसे 256 अधिकार -कर्मचारी इस गट में सेवा के लिए सदैव तैनात है।
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